मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

भक्तो में भरो नित न प्रकाश

जग मातु भारत भारती ,चराचरो की भाग्य है सवारती !
अमल-धवल निज सा, दे दो दान में हमें हे माँ सरस्वती !!१!!
जुग कर जोर नमन बन्दन,स्वर वीणा सा दो वीणावादिनी !
नव गति लय ताल छंद नव,जुग का दो ज्ञान ज्ञानदायिनी !!२!!
वेदधारिनी कमालासिनी ,हर चर-अचर में भर भुवन भाव !
सचर सत्वर आलोकित हो,किसलय सा हो  मन में  भाव !!३!!
स्फटिक मनका माला सा,एक हो माली हो मलय सुवास !
नवकंज लोचनी पाद्पद्मिनी,मन हो नव राग का आवास !!४!
वागेश्वरी परमेश्वरी ,परम सुर करे वाग में नित निवास !
जन मन विमल हो विमला ,भक्तो में हो नित नव प्रकाश !!५!!

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