रविवार, 5 मई 2013

प्यास

अपनी अपनी कथनी करनी,अपनी अपनी प्यास!
आप चाहो तो करो पूरा केवल अपनी ही आस!!
इमली सी रंग स्वाद में निकालते सब भडास!
ईख शरबत भेली शक्कर दे हर हाल में मिठास!!१!!
प्यास पीने पाने मिटाने मरने मारने जमाने की!
सीमित असीमित दमित पालित इच्छित अनिच्छ्त की!!
निभाने-निभने,पालने-पलने व टालने-टलने की!
रखो यही जग में निरन्तर कुछ कर गुजरने की !!२!!
प्यास होगी धरा पर पूरी उडे भले आसमान !
मिले अन्न धरा पर ही चिडिया उडे सारे जहान!!
भूल भुलैया में भैया फस जाये सशरीर जुबान!
काम केन्द्रित कामी,खो देते सब मान सम्मान!!३!!
प्यास मित से अमित व जोगी से भोगी बनाता!
रोगी भोगी कामी बन क्यो ठगता और ठगाता!!
अतृप्त लालसा के चक्कर में क्यो फसताऔर फसाता!
सुकर्म पथी मजबूत आचरण से ही इसे बूझाता!!४!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें