पवन सुत सन अरज मम आजू
बिधि करतब पर किछु न बसाई /
जगत सुत उलझने उलझाई /
निशि-दिवस चर-अचर भरमाई /
निरबल सबल नर-दनुज राई /
त्राहि त्राहि दयाल रघुराई /
गिरिजा शंकर जस पुरवाई /
पूरन काम आजु हो जाई /
नव नव नम नयन गोहराई //१//
कलि मल मल सब करतब आजू /
करत बतकही दिखहि न साजू /
का करतब कब कर कह कोही /
अजर अमर अविगत अज ओही /
बायस-जन बन हंस मत कहे /
अज्ञ विज्ञ निज अल्पज्ञ कथा सहे /
पवन सुत सन अरज मम आजू /
करतब कर कर अब सब काजू //२//
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