बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

चापलूसी

सच बोले की फस जावोगे ,जाति की कमी बताते ही नजर आवोगे !
अभिव्यक्ति स्वतन्त्र है ,पर लोक-तंत्र में चापलूसी से ही बच पावोगे !

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