गुरुवार, 17 जनवरी 2013

सुर ,स्वर या संगीत

सुर सनेही  स्वजन हित,दुर्जन होय बेसुध !
कोयल कागला का क्या ,भावे न पावे सुध !!१ !!
कोयल सुर सुध जगावे ,काग मान भगावे !
ये सुर से ही जगत में ,अलग हो जश पावे !!२ !!
जग जाग भोर में गावे ,सुंदर सुर सुनावे !
मन्दिर मस्जिद गिरजाघर ,देवो को जगावे !!३ !!
राजावो का तान सुर ,देवो का गान सुर !
तानसेन का जान सुर ,गायक का मान सुर !!४ !!
बिना गति लय ताल स्वर ,पा जाता अपमान !
समय संग सोभित सुर ,करे सबका सम्मान !!५ !!
जन जनेश जो सुर रत ,बनाये राहु सा गत !
अति से जो जन हो बिरत ,सुधारे उसकी लत !!६ !!
बिना सुर सामने खड़ा ,असुर हो या हो सुर !
जब हो सरल सादा सुर ,कर दे मान चुर -चुर !!७ !!
सुर सुर अथवा असुर सुर ,लोकत्रय हित सही !
जनतन्त्र की गरिमा में ,नेता सुर हो सही !!८!
बे सिर पैर सुर प्रयोग ,लाता है कुयोग !
बनती बात बिगाड़ता ,सोचे बिना प्रयोग !!९!!
सुर सम्राट सुर सम्राज्ञी ,बनना है अधिकार !
ऐसे प्रयोग से बचे ,जहा हो प्रतिकार !!१० !!
सुरेन्द्र भी जब डूबते ,सुर में है आकण्ठ !
तब पाते कष्ट अद्भुत ,गाते सभी सुकंठ !!११ !!
स्वविवेक सुर साधना ,सुचरित्र से सज्जन !
सुरच्युत स्वजन भी हो ,जाता कोपभाजन !!१२ !

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