शनिवार, 29 दिसंबर 2012

!!कथनी करनी!!


कथनी करनी देखो जग के,
पल-पल, छिन-छिन,नव-नव रुपों में!
एक हो जिनकी दोनो उनकी गणना मूर्खों में,
बदले दोनो पल-पल वो होशियार चालाको में!
भय रखना ही होगा परा शक्ति का अपने अपने मन में,
क्योकि शुभ नही ऐसी कथनी करनी कभी सभ्य समाजो में!
सोच बनी इसके प्रति अच्छी है जिनके जिनके मन में,
नहीं डरते वे किसी से किसी भांति इस जग में!
मूर्खों ने अच्छो को मूर्ख मान लिया है स्व मन में,
क्षणिक शान्ति सुख लाभ तुष्टि पाते पल-पल में!
ऐसो की स्थायित्व खोज पूर्ण न हो इस जग में,
पूर्ण होगी जो दोनो को एक करेगा तन- मन में!! 

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