बुधवार, 18 नवंबर 2020

√पर्यायवाची(शरीर के अंगों के)

तन:- कलेवर तनु काया वपु, लिम्ब गात जिस्म तन।
       देह के बहु नाम ये, अंग ऑर्गन बॉडी कथन।।1।।

बाल:-केश कच कुंतल कहते,अलक शिरोरुह चूल।
       जुल्फ जुल्फी चिकुर बाल, हेयर पर हो फूल।।2।।

पैर:-पद पद्म पद्माकर पग,परम पावन पूजित।
      पैर पाद पद चरण सब,फुट लेग अतिरंजित।।3।।

पेट:-पेट उदर स्टोमच कुक्ष, बेल्ली अंतः भाग।
      जठर अमाशय अंतरे, मध्य भाग का राग।।4।।

हाथ:-हाथ हैंड हस्त हरदम,स्वच्छ रखे कर पात्र।
       पाणी पंजा बाहु भुज,भुजा सवारें गात्र।।5।।

दाँत:-दाँत टूथ टीथ भावन, रदन दशन लुभावन।
       रद द्विज दन्त बदन खुर,मुख खुर रखें पावन।।6।।

जीभ:-जिह्वा रसना रसिका जु,जीभ बानी जुबान।
         वाचा वाणी रस देव,रसज्ञा टंग बखान।।7।।

कान:-कान श्रुतिपट श्रुति सब, श्रवणेन्द्रिय महान।
      श्रोत्र कर्ण एअर श्रवण,शब्दग्रह सब जान।।8।।

पसीना:-पसीना स्वेद प्रस्वेद,स्वेट श्रमकन बखान।
          श्रमसीकर श्रमविंदु, श्रमवारि हैं महान।।8।।

आँख:-आँखें जीवों की जान,लोचन अम्बक नयन।
         नेत्र चक्षु अक्षि दृग मह,ऑय नैन का चयन।।9।।

आँसू:-आँसू टेअर नयन जल,टसुआ असुआ अश्क।
         लोचन वारि अश्रु दृगजल,दृगम्ब का है मश्क़।10

गला:-गला शिरोधरा गरदन, थ्रोट टेंटुआ हलक।
        सु कण्ठ ग्रीव गलई जन,ग्रीवा होवे फलक।।11।।

गाल:-टमाटर सा लाल गाल,कपोल चीक रुखसार।
        गण्ड गलवा गण्ड स्थल,महिमा रखे अपार।।12।।

सीना:-छाती सीना वक्षस्थल,चेस्ट हिया का हार।
        वक्ष रक्ष में रत कवच,हिय का करें सम्भार।।13।।

जंघा:-जांघ जंघा जघन रान,थइ अंग्रेजी बखान।
       उरु जंघ विशाल विस्तृत,नलकिनि हंच महान।14

हथेली:-हथेली पाणितल हाथ,पंजा पाम प्रहस्त।
          करतल हस्ततल जानें,अंजलि अंजुली मस्त।15

दिमाग:-दिमाग मस्तिष्क विवेक,बुद्धि प्रज्ञा मगज।
           ब्रेन मेध भेजा अकल,मति धी राखे सजग।16

नाक:-नाक की है अद्भुत बात, जो दिखाती  जन्नत।
        नोज घ्राणेन्द्रिय घ्राण,नासिका के मन्नत।।17।।

दिल'-दिल हिय हृदय हार्ट उर, जाता जल्दी टूट।
        अन्तः करन हो मजबूत,भरोसा भी अटूट।।18।।

कमर:-कमर कमरिया लपालप, वेस्ट कही कटिभाग।
        लंका कटि मध्यप्रदेश,कॅरिहाव ह मध्यांग।।19।।

पुतली:-एप्पल ऑफ आई कौन आँखो का तारा।
          पुतली प्यूपिल कनीनी, कनीनिकान प्यारा।।20

कोहनी:-कोहनी कफोड़ि कूर्पर,एल्बो कुहनी कोहन।
            इरकोनी टिहुनी पर,रिझे राधा मोहन।।21।।

बुद्धि:-बुद्धि धिषणा प्रज्ञा मति,हर प्राणी में अक्ल।
        विजडम विवेक मनीषा,मेधा धी की शक्ल।।22।।

हाथ'-कर पाणि जोरि कर विनय, भुजा भुज बाहू बाँह।
        बाजू हस्त हाथ पाणि, आर्म ना कहे आह।।23।।

कलाई:-कलाई गट्टा प्रकोष्ठ,है पहुँचा करमूल।
         मणिबन्ध व्रिस्ट भी यही,यही है पाणिमूल।।24।।

माथा'-माथा ललाट की चमक,सोहै मस्तक भाल।
        पेशानी फोरहेड न, शीश सिर ही कपाल।।25।।

कंधा:-कन्धा काँधा ही स्कन्ध,मोढ़ा खावा अंश।
        शोल्डर सोलिडेर सदा,रखते ऊँचा अंस।।26।।

स्तन:-स्तन कुच पयोधर चूची,ब्रैस्ट सीना वक्षोज।
        वक्ष उरोरुह और उरस, स्तन्य ही है उरोज।।27।।

होठ:-होठ हमारा विरलतम,कहलाता है अधर।
       ओठ लिप्स अपर लोवर,ओष्ठ लब मुरली धर।28

चेहरा:-चेहरा मुखड़ा आनन,शक्ल फेस स्वरूप।
        अद्भुत रचना मुँह मुँख, दिखा देता सब रूप।।29।

एड़ी:-हील एड़ी ही कहावत,गोहिरा पगमूल।
       देववाणी में पर्ष्णि, पदमूल चरणमूल।।30।।

नाभि:-नवेल कस्तूरी नाह,नाभि तुन्दी  तुन्नी।
         तुन्दकुपी बेलीबटन,ढोढ़ी कहे धुन्नी।।31।।

          ।।     इति    ।।

3 टिप्पणियाँ:

यहां 20 नवंबर 2020 को 2:59 am बजे, Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर सृजन।

 
यहां 3 दिसंबर 2020 को 1:26 am बजे, Blogger जवाहर लाल सिंह ने कहा…

बहुत खूब

 
यहां 3 दिसंबर 2020 को 5:01 am बजे, Blogger gstshandilya ने कहा…

Dhanybad

 

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