√पर्यायवाची(शरीर के अंगों के)
तन:- कलेवर तनु काया वपु, लिम्ब गात जिस्म तन।
देह के बहु नाम ये, अंग ऑर्गन बॉडी कथन।।1।।
बाल:-केश कच कुंतल कहते,अलक शिरोरुह चूल।
जुल्फ जुल्फी चिकुर बाल, हेयर पर हो फूल।।2।।
पैर:-पद पद्म पद्माकर पग,परम पावन पूजित।
पैर पाद पद चरण सब,फुट लेग अतिरंजित।।3।।
पेट:-पेट उदर स्टोमच कुक्ष, बेल्ली अंतः भाग।
जठर अमाशय अंतरे, मध्य भाग का राग।।4।।
हाथ:-हाथ हैंड हस्त हरदम,स्वच्छ रखे कर पात्र।
पाणी पंजा बाहु भुज,भुजा सवारें गात्र।।5।।
दाँत:-दाँत टूथ टीथ भावन, रदन दशन लुभावन।
रद द्विज दन्त बदन खुर,मुख खुर रखें पावन।।6।।
जीभ:-जिह्वा रसना रसिका जु,जीभ बानी जुबान।
वाचा वाणी रस देव,रसज्ञा टंग बखान।।7।।
कान:-कान श्रुतिपट श्रुति सब, श्रवणेन्द्रिय महान।
श्रोत्र कर्ण एअर श्रवण,शब्दग्रह सब जान।।8।।
पसीना:-पसीना स्वेद प्रस्वेद,स्वेट श्रमकन बखान।
श्रमसीकर श्रमविंदु, श्रमवारि हैं महान।।8।।
आँख:-आँखें जीवों की जान,लोचन अम्बक नयन।
नेत्र चक्षु अक्षि दृग मह,ऑय नैन का चयन।।9।।
आँसू:-आँसू टेअर नयन जल,टसुआ असुआ अश्क।
लोचन वारि अश्रु दृगजल,दृगम्ब का है मश्क़।10
गला:-गला शिरोधरा गरदन, थ्रोट टेंटुआ हलक।
सु कण्ठ ग्रीव गलई जन,ग्रीवा होवे फलक।।11।।
गाल:-टमाटर सा लाल गाल,कपोल चीक रुखसार।
गण्ड गलवा गण्ड स्थल,महिमा रखे अपार।।12।।
सीना:-छाती सीना वक्षस्थल,चेस्ट हिया का हार।
वक्ष रक्ष में रत कवच,हिय का करें सम्भार।।13।।
जंघा:-जांघ जंघा जघन रान,थइ अंग्रेजी बखान।
उरु जंघ विशाल विस्तृत,नलकिनि हंच महान।14
हथेली:-हथेली पाणितल हाथ,पंजा पाम प्रहस्त।
करतल हस्ततल जानें,अंजलि अंजुली मस्त।15
दिमाग:-दिमाग मस्तिष्क विवेक,बुद्धि प्रज्ञा मगज।
ब्रेन मेध भेजा अकल,मति धी राखे सजग।16
नाक:-नाक की है अद्भुत बात, जो दिखाती जन्नत।
नोज घ्राणेन्द्रिय घ्राण,नासिका के मन्नत।।17।।
दिल'-दिल हिय हृदय हार्ट उर, जाता जल्दी टूट।
अन्तः करन हो मजबूत,भरोसा भी अटूट।।18।।
कमर:-कमर कमरिया लपालप, वेस्ट कही कटिभाग।
लंका कटि मध्यप्रदेश,कॅरिहाव ह मध्यांग।।19।।
पुतली:-एप्पल ऑफ आई कौन आँखो का तारा।
पुतली प्यूपिल कनीनी, कनीनिकान प्यारा।।20
कोहनी:-कोहनी कफोड़ि कूर्पर,एल्बो कुहनी कोहन।
इरकोनी टिहुनी पर,रिझे राधा मोहन।।21।।
बुद्धि:-बुद्धि धिषणा प्रज्ञा मति,हर प्राणी में अक्ल।
विजडम विवेक मनीषा,मेधा धी की शक्ल।।22।।
हाथ'-कर पाणि जोरि कर विनय, भुजा भुज बाहू बाँह।
बाजू हस्त हाथ पाणि, आर्म ना कहे आह।।23।।
कलाई:-कलाई गट्टा प्रकोष्ठ,है पहुँचा करमूल।
मणिबन्ध व्रिस्ट भी यही,यही है पाणिमूल।।24।।
माथा'-माथा ललाट की चमक,सोहै मस्तक भाल।
पेशानी फोरहेड न, शीश सिर ही कपाल।।25।।
कंधा:-कन्धा काँधा ही स्कन्ध,मोढ़ा खावा अंश।
शोल्डर सोलिडेर सदा,रखते ऊँचा अंस।।26।।
स्तन:-स्तन कुच पयोधर चूची,ब्रैस्ट सीना वक्षोज।
वक्ष उरोरुह और उरस, स्तन्य ही है उरोज।।27।।
होठ:-होठ हमारा विरलतम,कहलाता है अधर।
ओठ लिप्स अपर लोवर,ओष्ठ लब मुरली धर।28
चेहरा:-चेहरा मुखड़ा आनन,शक्ल फेस स्वरूप।
अद्भुत रचना मुँह मुँख, दिखा देता सब रूप।।29।
एड़ी:-हील एड़ी ही कहावत,गोहिरा पगमूल।
देववाणी में पर्ष्णि, पदमूल चरणमूल।।30।।
नाभि:-नवेल कस्तूरी नाह,नाभि तुन्दी तुन्नी।
तुन्दकुपी बेलीबटन,ढोढ़ी कहे धुन्नी।।31।।
।। इति ।।
3 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर सृजन।
बहुत खूब
Dhanybad
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ