मंगलवार, 28 जुलाई 2020

।।। चन्दन ।।। chandan hindi poem

सुन्दर सहज सलोना तरूवर हर हर का मन लेता।
राग-द्वेष से मुक्त निज तन विषधर को सुख देता।।
कठिन कुचाह कुमति काष्ठ मन गेह नेह कर लेता।
चन्दन ही परहित निज देह गेह नेह सब तज देता।।1।।
जीवन धन्य करै चन्दन चन्दन बन सदा रहता है।
मणिधर विषधर जन मन भी चैन सदा भरता है।।
दनुज-मनुज हित निज तन ताप सदा सहता है।
चन्दन कोयला बन भी शान्ति सदा कहता है।।2।।
आतप वर्षा छाँव भले हों निजता नहीं तजता है।
आन बान मर्यादा पर कट काटक गन्ध भरता है।।
देव मनुज दनुज तन मर कर भी सुगन्ध करता है।
चन्दन-जन भी चन्दन सा खुशबू सर्वदा फैलता है।।3।।
भारत का कण-कण गाता चन्दन माँ की गाथा है।
हम क्या चन्दन तो देवों के भी शिर चढ़ जाता है।।
भूत-प्रेत सह सब भूतों को चन्दन बहुत सुहाता है।
जन्म-मरन तक हर पल नर का चन्दन से नाता है।।4।।
चन्दन तिलक भाल मानव दिव्य जन बन जाता है।
चन्दन से सीख सिख ले गुनी सर्वत्र पूजा जाता है।।
सीख तुम्हारी अद्भुत चन्दन माटी को महकाता है।
निज माटी चन्दन हित नर निजता भूल जाता है।।5।।
चन्दन का वन्दन करें जगत तनय मेवाती नन्दन।
निज गुन हर भारत-लाल को बनाओ अभिनन्दन।।
कभी भारत की धरा पर न हो चन्दन का क्षरण।
हे मलयाचल भारत का हो अचल मलय वन्दन।।6।।

4 टिप्पणियाँ:

यहां 29 जुलाई 2020 को 3:56 am बजे, Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत।

 
यहां 29 जुलाई 2020 को 5:45 am बजे, Blogger gstshandilya ने कहा…

सादर अभिवादन।
कोटिशः धन्यवाद।

 
यहां 29 जुलाई 2020 को 5:46 am बजे, Blogger gstshandilya ने कहा…

सर,उचित मार्गदर्शन कराते रहे।

 
यहां 29 जुलाई 2020 को 5:46 am बजे, Blogger gstshandilya ने कहा…

सादर अभिवादन।
कोटिशः धन्यवाद।

 

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