हाउस वाइफ house wife hindi poem
हाउस वाइफ
संवेदना सहित सोचें इनकी लाइफ।
नौकरी पेशा हाउस वाइफ
इनकी जिंदगी दुधारी नाइफ।।
लक्ष्मी,सरस्वती पार्वती भी
सीता भी राधा भी।
नव दुर्गा महा काली भी
ये हैं घर वाली भी।।
ललना वाली चकला वाली
बेलन वाली भी।
भीतर वाली बाहर वाली
परिवार वाली भी।।
निज चिंता चिता बना
पर पर जलने वाली।
घर को परिवार बना
उस पर मरने वाली।।
हानि-लाभ अपना नहीं
जीवन सुख सपना सही।
निज दुख देखना नहीं
परिवार हित मरना मही।।
सूर्य चंद्र सा चलना
धरती सा सब सहना।
शेरनी सा रहना
ममता-प्रेम का गहना।।
पुजारिन हैं पूजा हैं
दिया हैं बाती हैं।
मन्दिर हैं मूर्ति हैं
जीवन हैं ज्योति हैं।।
सुबह से शाम तक
आई हैं माई हैं।
अंधरे से प्रकाश तक
रिश्ते निभाई हैं।।
संभाल कर हर तिनका
मार कर अपना मनका।
कुछ नहीं हैं निजका
सर्व न्यौछावर कर तनका।।
संभालती परिवार
बिना किसी भार।
सँवारती घर-द्वार
होकर तार-तार।।
जब रोटी पकाती
प्यार उड़ेंन जाती।
रखती न थाती
रखती बड़ी छाती।।
परिवार को खिला कर
खुद खाना खाती।
सबकी क्षुदा दूर कर
भूखी भी सो जाती।।
अद्भुत हैं वाइफ
अविस्मरणीय हैं।
सँवारती हैं लाइफ
वंदनीय हैं।।
2 टिप्पणियाँ:
सार्थक रचना।
बिल्कुल सही है सर
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