शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

कैसे कैसे जीव यहाँ how many kinds of creatures here hindi poem

हम धरती के जीव जहाँ
कैसे कैसे हैं लोग यहाँ।
जलचर का जल में जहां
नभचर हैं नभ में महां।।1।
मत्स्यावतार की व्यथा
नव जीवन की है कथा।
कूर्म पर सागर मथा
वाराह महि मानव गथा।।2।।
नरसिंह हो कर प्रगट
निवारे नर भक्त संकट।
वामन जन्म-कर्म विकट
त्रिलोक को किया नर निकट।।3।।
परसु के रूप,रंग-ढंग
देख जन-जन होवे दंग।
राम पुरुष उत्तम सब अंग
पाता जन नित निज संग।।4।।
कृष्ण कथा हरती व्यथा
प्रेम-सागर को मथा।
धर्म-ध्वज की स्थापना
कलि का नित नव कल्पना।।5।।
सिख लो जग लोग भली
प्रथम लाभ लिया मछली।
जल से जीवन इस थली
नर-अली हेतु खिलाये हर कली।।6।।
मछली सा बनना 
है आतप-वर्षा सहना।
अबके लोग सीखें ऐसा रहना
जल-जीवन माने सब कहना।।7।।
कछुआँ उभयचर से ले सीख
कठिन काम जन जन में दीख।
सूअर अस्वच्छ स्वच्छ सीख
न निकालें कभी मेन मीख।।8।।
नर-सिंह आज-कल गली-गली
दबायें दबले-कुचले को हर थली।
फितरत हमारी ही नहीं भली
नरसिंह हो तो भला करो हर थली।।9।।
वामन का हर काम-धाम
जीव-जीवन बनाता ललाम।
परशुराम का नाम
दुरवृत्ति नाशक बन सकाम।।10।।
राम-श्याम  सम नहि दूजा
जीव जहां का करते पूजा।
आज राम-श्याम को बना दूजा
रावन-कंस बन नर पाते पूजा।।11।।
थलचर  जल नभ में भी
बनावे आसियाना सभी।
निज हित रत हो अभी
बुला रहे हैं निज नाश भी।।12।।
कैसे कैसे हम लोग यहाँ
पाल रहे हैं नित नव सपना।
देव सम हम कैसे कहाँ
लूटे जब अपनों को अपना।।13।।
पशु नहीं हम हमसे पशु अच्छे
सत्य-निष्ठा को जब बदलते।
गीदड़ शेर लोमड़ी कुत्ते अच्छे
देख नर व्यवहार हैं सिसकते।।14।।
ईमान सभी का सब जानते
देव दनुज मनुज को मानते।
रिश्ते-नाते बहुत बनाते
काम आते अपनी शर्त मनवाते।।15।।
अद्भुत हुनर वाले हैं
अद्भुत चुनर वाले हैं।
अद्भुत शक्ति वाले हैं
अद्भुत भक्ति वाले हैं।।16
अद्भुत हैं अद्भुत मानव यहाँ
 भाँति-भाँति के जीव जहाँ।
पशु-पंछी सा अनुराग कहाँ
राग-तड़ाग है निवास जहाँ।।17।।









0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]

<< मुख्यपृष्ठ