शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

वीणावादिनी

जय जय जय जय मातु शारदे,
रूप छठा पर नव निधि वार दें।
अमल धवल कमल आसन तव,
मन मयूर नाचे कर नव नव रव।।1।।
नित नूतन क्षण-क्षण परिवर्तन।
पावें जन करें जो तेरा आराधन।।
मंद बुद्धि हम पर तेरे आराधक।
वेद धारिणी माँ है मेरा उद्धारक।।2।।
जगत मातु तू  जग कल्याणी।
वर दे वर दे मातु वीणावादिनी।।
उन्नत भाल गले नव हार चक्षु विशाल।
माथे मणि मुकुट दे आभा करे निहाल।।3।।
कानन कुण्डल कर स्फटिकमणि माल।
दोउ कर विणा देती शोभा नित हर हाल।।
चतुर्भुजी फल चार दायिनी माँ वर दे।
बुद्धि ज्ञान से मन भर दे हे मातु शारदे।।4।।

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