।।एक अद्भुत श्लोक और उसकी कथा।। मेरा पर को नहि मिलना है।।
।।एक अद्भुत कथा ,मेरा पर को नहि मिलना है।।
प्राप्तव्यमर्थं लभते मनुष्यो
देवोऽपि तं लङ्घयितुं न शक्तः ।
तस्मान्न शोचामि न विस्मयो मे
यदस्मदीयं न हि तत्परेषाम् ॥
मिलेगा हमे जो मिलना है।
नहि देवों से भी डरना है।।
अचरज-शोच क्यों करना है।
मेरा पर को नहि मिलना है।।
मनुष्य को जो प्राप्त होना होता है, उसका उल्लंघन करने में देवता भी समर्थ नहीं हैं इसलिए मुझे न आश्चर्य है और न ही शोक क्योंकि जो मेरा है वह कोई और मुझसे छीन नहीं सकता ॥
Whatever belongs to you will come to you , even Gods cannot change that. That is why I do not get either disappointed or surprised. No one else can take whatever is mine.
।। धन्यवाद ।।
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