।। स्मरण अलंकार।।
स्मरण अलंकार
जहाँ किसी सदृश वस्तु के स्मरण से अन्य वस्तु का स्मरण हो जाय वहाँ स्मरण अलंकार होता है। इसमें दो वस्तुओं अथवा स्थितियों का सादृश्य या वैसादृश्य वर्णन होता है।प्रायः उपमेय को देख कर उपमान याद आता है लेकिन ऐसी स्थिति भी होती है कि उपमान को देख कर उपमेय याद आता है।
उदाहरण
1.सुमिरि सिय नारद बचन उपजी प्रीति पुनीत।
चकित बिलोकति सकल दिसि जनु सिसु मृगी सभीत।।
2.बिरहवंत भगवंतहि देखी।
नारद उर भा सोच विसेषी।।
मोर श्राप करि अंगीकारा।
सहत राम नाना दुःख भारा।।
3.भयउ कोलाहल नगर मझारी।
आवा कपि लंका जेहि जारी।।
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