।।उपमेयोपमा अलंकार।।
उपमेयोपमा अलंकार -सादृश्य-मूलक
उपमेय और उपमान को परस्पर एक दूसरे का उपमेय और उपमान बना देना ही 'उपमेयोपमा' कहा जाता है।इस वर्णन से यह भी ज्ञात होता है कि इनके समान तीसरा है ही नहीं।
दूूसरे शब्दों में उपमेेेय-उपमान के परस्पर स्थानांतरण से यह अलंकार होता है।
उदाहरण:-
राम के समान शम्भु सम राम है।
यहाँ दो उपमाएँ एक साथ आयी है, पर दोनों उपमाओं के उपमेय और उपमान क्रमशः उपमान और उपमेय में परिवर्तित हो गये है।
राम प्रानहु ते प्रान तुम्हारे।
तुम्ह रघुपतिहि प्रानहु ते प्यारे।।
।।धन्यवाद।।
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