।। द्रुतविलंबित छंद हिन्दी और संस्कृत में।।
।।द्रुतविलंबितछंद हिन्दी-संस्कृत में।।
यह जगती परिवार का प्रत्येक चरण
में 12 वर्ण × 4 चरण अर्थात् = 48
वर्णों का समवर्ण वृत्त छंद है।
इस परिवार को "जगतीजातीय"भी
कहते हैं। इस छंद को सुन्दरी तथा
हरिणीप्लुता के नाम से भी जाना
जाता है। इस छन्द का प्रारम्भ तेज
गति से और अन्त विलम्ब से अर्थात्
आराम से होता है। इसलिए इसे
द्रुतविलंबित छंद कहते हैं।
लक्षण:-
द्रुतविलम्बितमाह नभौ भरौ
परिभाषा :-
जिस छन्द के प्रत्येक चरण में एक
नगण (।।।), दो भगण (ऽ।।, ऽ।।)
और एक रगण (ऽ।ऽ) के क्रम में
12-12 वर्ण होते हैं उसे
द्रुत विलम्बित छंद कहते हैं।
उदाहरण :-
I I I S I I S I I S I S
विपदि धैर्यमथाभ्युदये क्षमा
I I I S I I S I I S I S
सदसि वाक्पटुता युधि विक्रमः।
I I I S I I S I I S I S
यशसि चाभिरुचिर्व्यसनं श्रुतौ
I I I S I I S I I S I S
प्रकृतिसिद्धमिदं हि महात्मनाम्।
उपर्युक्त छन्द के प्रत्येक पक्ति
में प्रथम पक्ति की तरह ही सभी
पक्तियों में नगण,भगण,
भगण और रगण के क्रम में
12 -12 वर्णो के बाद यति है।
अतः द्रुतविलंबित छंद है ।
हिन्दी में भी लक्षण और
परिभाषा संस्कृत की तरह ही हैं।
लेकिन कुछ विद्वानों ने इसका
लक्षण हिन्दी में इस प्रकार किया है।
(1) द्रुतविलम्बित सोह न भा भ रा
या
(2)नभभरा” इन द्वादश वर्ण में।
‘द्रुतविलम्बित’ दे धुन कर्ण में।।
उदाहरण :-
I I I S I I S I I S I S
दिवस का अवसान समीप था
I I I S I I S I I S I S
गगन था कुछ लोहित हो चला
I I I S I I S I I। S I S
तरु शिखा पर थी अब राजती
I I I S I I S I I S I S
कमलिनी कुल वल्लभ की प्रभा
उपर्युक्त छन्द की प्रत्येक
पक्तियों में नगण , भगण , भगण
और रगण के क्रम में 12 -12
वर्णो के बाद यति है। इसलिए
यहाँ द्रुतविलम्बित छन्द है।
।।धन्यवाद।।
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