।।शालिनी छंद हिन्दी और संस्कृत में।।
।।शालिनी छंद हिन्दी और संस्कृत में।।
यह त्रिष्टुप परिवार का समवर्ण वृत्त छंद है।
लक्षण:
"मात्तौ गौ चेच्छालिनी वेेदलोकैैः"
परिभाषा:
जिस श्लोक/पद्य के प्रत्येक चरण में
एक मगण, दो तगण तथा दो गुरू के
क्रम में ग्यारह-ग्यारह वर्ण होते हैं
उस श्लोक/पद्य में शालिनी छंद होता है।
उदाहरण:
SSS SSI SSI SS
(1) माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ॥
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु: ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥
(2) एको देवः केशवो वा शिवो वा
एकं मित्रं भूपतिर्वा यतिर्वा ।
एको वासः पत्तने वा वने वा
एका नारी सुन्दरी वा दरी वा ।।
उक्त दोनों छंदों में प्रथम छंद के
प्रथम चरण के अनुसार ही सभी
चरणों में एक मगण, दो तगण
तथा दो गुरू के क्रम में
ग्यारह-ग्यारह वर्ण हैं अतः
इनमें शालिनी छंद है।
हिन्दी में शालिनी छंद:
संस्कृत की ही तरह हिन्दी में
भी शालिनी छंद के लक्षण एवं
परिभाषा हैं। आइए उदाहरण
देखते हैं:
उदाहरण:
माता रामो हैं पिता रामचंद्र।
स्वामी रामो हैं सखा रामचंद्र।।
हे देवो के देव मेरे दुलारे।
मैं तो जीऊ आप ही के सहारे।।
उक्त पद्य में भी प्रथम चरण के
अनुसार ही सभी चरणों में
एक मगण, दो तगण तथा दो
गुरू के क्रम में ग्यारह-ग्यारह
वर्ण हैं अतः इसमे शालिनी छंद है।
।। धन्यवाद।।
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