।।अलंकार परिचय।।
"अलंकार" |
शब्द अर्थ बारौ कवित, बिवुध कहत सब कोई॥"
2. अर्थालंकार-अर्थ को चमत्कृत या अलंकृत करने वाले अलंकार अर्थालंकार कहलाते हैं। यहाँ जिस शब्द से जो अलंकार सिद्ध होता है, उस शब्द के स्थान पर दूसरा पर्यायवाची शब्द रख देने पर भी वही अलंकार सिद्ध होताा है क्योंकि अर्थालंकारों का संबंध शब्द से न होकर अर्थ से होता है। अर्थात्
"जहाँ अर्थ के माध्यम से काव्य में चमत्कार होता हो वहाँ अर्थालंकार होता है ।"
अर्थालंकार पाँच प्रकार के होते हैं –
- सादृश्यमूलक अर्थालंकार
- विरोधमूलक अर्थालंकार
- शृंखलामूलक अर्थालंकार
- न्यायमूलक अर्थालंकार
- गूढार्थमूलक अर्थालंकार
इन पांचों के आधार अर्थालंकार के निम्नभेद हैं:उपमा अलंकार रूपक अलंकार उत्प्रेक्षा अलंकार दृष्टांत अलंकार संदेह अलंकार अतिश्योक्ति अलंकार उपमेयोपमा अलंकार प्रतीप अलंकार अनन्वय अलंकार भ्रांतिमान अलंकार दीपक अलंकार अपह्नुति अलंकार व्यतिरेक अलंकार विभावना अलंकार विशेषोक्ति अलंकार अर्थान्तरन्यास अलंकार उल्लेख अलंकार विरोधाभाष अलंकार असंगति अलंकार मानवीकरण अलंकार अन्योक्ति अलंकार काव्यलिंग अलंकार स्वभावोक्ति अलंकार आदि।
3.उभयालंकर:जहाँ चमत्कार शब्द तथा अर्थ दोनों में स्थित रहता है वहाँ उभयालंकार माना जाता है।
उभयालंकार के निम्न भेद माने गए हैं: संकर अलंकार और संसृष्टि अलंकार।
तीनों अलंकारों के विभिन्न भेदों को हम आगे विस्तार से पढ़ेंगे।
।। इति ।।
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