।। शिव का माह सावन ।।
।। शिव का माह सावन ।।
हिंदू धर्म में सावन के महीने का खास महत्व होता है. सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने के मनचाहा फल प्राप्त होता है.सावन के सोमवार को की गई पूजा, व्रत, उपाय तुंरत फल प्रदान करने वाले कहे गए हैं. माना जाता है कि अगर सावन सोमवार के दिन कुछ विशेष चीजों को घर लाया जाए, तो व्यक्ति का भाग्य बदल जाता है. व्यक्ति को उन सभी चीजों की प्राप्ति होती है जिसकी वह लंबे से समय कामना कर रहा होता है. आइए जानते हैं उन चीजों के बारे में-
गंगा जल- सावन के सोमवार के दिन घर में गंगा जल लाना काफी शुभ माना जाता है. गंगा जल को लाकर यदि किचन में रखा जाए तो इससे व्यक्ति की किस्मत बदल सकती है और घर में समृद्धि फभी आती है. इससे परिवार में सभी की तरक्की होती है.
रुद्राक्ष- सावन सोमवार के दिन रुद्राक्ष को घर लाकर उसे मुखिया के कमरे में रखा जाए, तो घर का भाग्य बदलने में समय नहीं लगता. इससे कई चमत्कारीस लाभ प्राप्त होते हैं. घर की आर्थिक दिक्कतें दूर हो जाती हैं. साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है.
भस्म- सावन के सोमवार के दिन भस्म लाकर उसे भगवान शिव की मूर्ति के पास रख दें. इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनचाहा फल देते हैं.
चांदी का त्रिशूल- सावन के सोमवार के दिन चांदी का त्रिशूल लाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. साथ ही सावन सोमवार के दिन तांबे या चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा लाकर उसे घर के मुख्य दरवाजे के नीचे दबा देना चाहिए. इससे आपकी सभील समस्याएं दूर हो
सावन शिवरात्रि महत्त्व
सावन की शिवरात्रि का व्रत और इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से अर्चक को शांति, रक्षा, सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि व्रती के सभी पाप को नष्ट कर देती है. सावन की शिवरात्रि का व्रत रखने से कुवारें लोगों को मनचाहा वर या वधु मिलने की मान्यता है. वहीं, दांपत्य जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है.
सावन सोमवार व्रत कथा
एक समय एक नगर में एक साहूकार का कोई संतान नहीं था, दुखी साहूकार पुत्र के लिए हर सोमवार व्रत रखता था. शिव मंदिर में पूजा से प्रसन्न मां पार्वती की इच्छा पर भगवान शिव ने साहूकार को पुत्र-प्राप्ति का वरदान तो दिया, साथ ही कहा कि बेटे की आयु बारह वर्ष ही होगी. साहूकार का पुत्र ग्यारह वर्ष का हुआ तो पढ़ने काशी भेजा गया. साहूकार ने उसके मामा को बुलाकर धन दिया और कहा कि तुम इसे काशी ले जाओ, रास्ते में जहां यज्ञ कराते और ब्राह्मणों को भोजन कराते जाना. मामा-भांजे दान-दक्षिणा देते चल पड़े. रात को एक नगर में राजा की बेटी का विवाह था. मगर जिस राजकुमार से विवाह होना था, वह काना था. राजकुमार के पिता ने यह बात छुपाने को साहूकार के बेटे को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर विवाह करवा दिया.
साहूकार का पुत्र ईमानदार होने से उसने राजकुमारी की चुन्नी पर सच्चाई लिख दी. इस पर राजकुमारी के पिता ने पुत्री को विदा नहीं किया और बारात बैरंग लौट गई. उधर, साहूकार का बेटा मामा के साथ काशी पहुंच गया. जिस दिन उसकी आयु 12 साल हुई, उसी दिन यज्ञ रखा गया. मगर अचनक उसकी तबीयत बिगड़ गई और शिवजी के वरदान के अनुसार उसके प्राण निकल गए. भांजे को मृत देखकर मामा ने विलाप शुरू किया. उसी समय शिव-पार्वतीजी उधर से गुजरे तो पार्वती ने कहा कि स्वामी, मुझे इसका रोना बर्दाश्त नहीं हो रहा है, आप इसके कष्ट दूर करिए.
शिवजी ने कहा, कि यह साहूकार का पुत्र है, जिसे 12 वर्ष आयु वरदान दिया था. इसकी आयु पूरी है, मगर पार्वती के आग्रह पर शिवजी ने लड़के को जीवित कर दिया. पढ़ाई पूरी कर वह फिर मामा के साथ घर की ओर लौटा तो रास्ते में उसी नगर में पहुंचे, जहां उसका विवाह हुआ था. यहां भी उसने पिता के कहे अनुसार यज्ञ किया. इस दौरान राजकुमारी के पिता ने उसे पहचान कर खूब खातिरदारी की और पहले पुत्री के साथ हो चुकी शादी का हवाला देकर उसके साथ विदा कर दिया.
शिव गायत्री मंत्र -ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
यह शिव गायत्री मंत्र है, जिसका जप करने से मनुष्य का कल्याण संभव है। शिव गायत्री मंत्र का जप प्रत्येक सोमवार को करना चाहिए। शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार से उपवास रखते हुए इस मंत्र का आरंभ करना चाहिए। श्रावण मास में सोमवार को शिव गायत्री मंत्र का जप विशेष शुभ फलदायी माना गया है। शिव गायत्री मंत्र का जप करके शिवलिंग पर गंगा जल, बेलपत्र, धतूरा, चंदन, धूप, फल, पुष्प आदि श्रद्धा भाव से अर्पित करने से शिव एवं शक्ति दोनों की ही कृपा मिलती है।
शिव गायत्री मंत्र के लाभ
पवित्र भाव के साथ विधिपूर्वक शिव गायत्री मंत्र का जप करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। अकाल मृत्यु तथा गम्भीर बीमारियों से मुक्ति के लिए शिव गायत्री मंत्र का प्रतिदिन एक माला जप अत्यंत ही शुभ है। जिन जातकों की जन्म कुंडली में काल सर्प योग हो अथवा राहु, केतु या शनि ग्रह जीवन में पीड़ा दे रहे हों, उन्हें शिव गायत्री मंत्र Ka पाठ राहत देता है। जीवन में सुख, समृद्धि, मानसिक शांति, यश, धनलाभ, पारिवारिक सुख आदि की प्राप्ति के लिए शिव गायत्री मंत्र अवश्य करें।
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