रविवार, 27 जून 2021

।। असंगति अलंकार ।।

           ।। असंगति अलंकार  ।।
परिभाषा :- 
जहाँ कारण कहीं और कार्य कहीं होने का वर्णन किया जाय वहाँ 'असंगति' अलंकार होता है।
 कार्यकारणयोर्भित्रदेशतायामसंगति
 साहित्यदर्पण आचार्य विश्वनाथ
'असंगति' का अर्थ होता है- नहीं संगति।
जहाँ कारण होता है, कार्य वहीं होना चाहिए।
चोट पाँव में लगे, तो दर्द वहीं होना चाहिए।
कारण कहीं, कार्य कहीं; चोट पाँव में लगे और दर्द सर में हो, तो यह असंगति हुई।
उदाहरण :-
1. तुमने पैरों में लगाई मेंहदी मेरी आँखों में समाई मेंहदी।
-अज्ञात मेंहदी लगाने का काम पाँव में हुआ, किंतु उसका परिणाम आँखों में दृष्टिगत हो रहा है।
इसलिए यहाँ 'असंगति' अलंकार है।
उदाहरण:-
2 . मनि मानिक मुकुता छबि जैसी।
     अहि गिरि गज सिर सोह न तैसी॥
     नृप किरीट तरुनी तनु पाई। 
     लहहिं सकल सोभा अधिकाई।।
     तैसेहिं सुकबि कबित बुध कहहीं।
    उपजहिं अनत अनत छबि लहहीं॥
3.सुखस्वरूप रघुबंसमनि मंगल मोद निधान।
ते सोवत कुस डासि महि बिधि गति अति बलवान॥
4.राजु देन कहुँ सुभ दिन साधा। 
  कहेउ जान बन केहिं अपराधा॥
         ।।  धन्यवाद  ।।

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