बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

जितेगा वही होगा सिकन्दर!!


क्रिकेट की कहानी, कहना न जुबानी!
खेल खेलने से ही ज्ञात हो इसकी जवानी!!
सिलसिला हार का जीतो मे बदलो तब तो करे बात!
पङो प्रतिपक्ष पर प्रबल तभी बनेगी यह बात!!
नही खेलना देशहित तो छोङ दो खेलना!
बार-बार हार देखने से अच्छाहै इससे नाता तोङना!!
खेलो देश या विदेश रखो शान मान!
तभी होगी ये खिलाङियो तेरी सच्ची पहचान!!
एक-दो की जैसी पारियो से कर लेते हो पक्का स्थान!
वैसा ही सभी पारियो मे खेलो तब बने सच्ची पहचान!!
जानते है सभी यह बात अन्दर-ान्दर!
कही भी जो जितेगा वही होगा सिकन्दर!!

लेखनी

लेखनी है तभी तो सारे साहित्यसेवी जी रहे है !
साहित्य -साधना से सभी बिधायो को सी रहे है !!
जर जर हो रही चेतना को संवेदना दे रहे है !
नीलकंठ सा इस जगत में असार -विष पी रहे है !!

चापलूसी

सच बोले की फस जावोगे ,जाति की कमी बताते ही नजर आवोगे !
अभिव्यक्ति स्वतन्त्र है ,पर लोक-तंत्र में चापलूसी से ही बच पावोगे !

,फेसबुक

खुद छिप ,जानना पर को 
पर पर काट ,सेफ स्व को !
ऐसी हरकत ,न भा मित्र को 
बदनाम कर ,फेसबुक को !!

होनी अनहोनी

होनी क्या होकर रहती हैया हो जाने के बाद को होनी कहते है !
अनहोनी जब होती नहीं तो उसे अनहोनी क्यों सब कहते है !!
विषय विचारे हम सब मिल फिर भावी किसको कह सकते है !
जब पूर्व नियोजित है सब तब निनानबे के फेर में हम क्यों पड़ते है !

सुआस करो पूरी ,हर जन की हे पूरनधाम !!

हे केशव बृजबिहारी ,है आप सदा निष्काम !
भाल बिशाल अमिय ,मोहै देखी ललाम !!
मोरपंख शिर वैसे ,शशि सोहै जू शिवधाम !
सुआस करो पूरी ,हर जन की हे पूरनधाम !!१!!
हे वंशीधर नंदलाल ,तेरी छबि वारे कोटि काम !
रक्षक हर पल ,करे भक्षको का काम तमाम !!
तन मन धन सब अर्पित ,हे जन के सुखधाम !
सुआस करो पूरी , हर जन की हे पूरनधाम !!२!!
हे माधव मदन मुरारी ,कहू क्या हे कान्तिधाम !
 जनम जनम सुख पावे ,जन  ले ले तेरा नाम !!
गल माल सुवासित ,बाजूबंद बिराजे बाजूधाम !
सुआस करो पूरी ,हर जन की हे पूरनधाम !!३!!
हे मधुसूदन राधेश्याम ,हरे कृष्ण हरे राम !
हरते हर पापियों को,करते भक्त के हर काम !!
भक्त का कुछ हर न सके कोई ,हे त्राहि माम !
सुआस करो पूरी ,हर जन की हे पूरनधाम !!४!!

गुरुवार, 17 जनवरी 2013

सुर ,स्वर या संगीत

सुर सनेही  स्वजन हित,दुर्जन होय बेसुध !
कोयल कागला का क्या ,भावे न पावे सुध !!१ !!
कोयल सुर सुध जगावे ,काग मान भगावे !
ये सुर से ही जगत में ,अलग हो जश पावे !!२ !!
जग जाग भोर में गावे ,सुंदर सुर सुनावे !
मन्दिर मस्जिद गिरजाघर ,देवो को जगावे !!३ !!
राजावो का तान सुर ,देवो का गान सुर !
तानसेन का जान सुर ,गायक का मान सुर !!४ !!
बिना गति लय ताल स्वर ,पा जाता अपमान !
समय संग सोभित सुर ,करे सबका सम्मान !!५ !!
जन जनेश जो सुर रत ,बनाये राहु सा गत !
अति से जो जन हो बिरत ,सुधारे उसकी लत !!६ !!
बिना सुर सामने खड़ा ,असुर हो या हो सुर !
जब हो सरल सादा सुर ,कर दे मान चुर -चुर !!७ !!
सुर सुर अथवा असुर सुर ,लोकत्रय हित सही !
जनतन्त्र की गरिमा में ,नेता सुर हो सही !!८!
बे सिर पैर सुर प्रयोग ,लाता है कुयोग !
बनती बात बिगाड़ता ,सोचे बिना प्रयोग !!९!!
सुर सम्राट सुर सम्राज्ञी ,बनना है अधिकार !
ऐसे प्रयोग से बचे ,जहा हो प्रतिकार !!१० !!
सुरेन्द्र भी जब डूबते ,सुर में है आकण्ठ !
तब पाते कष्ट अद्भुत ,गाते सभी सुकंठ !!११ !!
स्वविवेक सुर साधना ,सुचरित्र से सज्जन !
सुरच्युत स्वजन भी हो ,जाता कोपभाजन !!१२ !